स्त्री मुक्ति संगठन सन 2000 से ही हर साल 3.4 दिन की रिहाइशी कार्यशाला का आयोजन करता आया है. कार्यशाला में संगठन के कार्यकर्ताओं और सदस्यों के अतिरिक्त अन्य महिला साथी भी जो महिला मुक्ति की राजनीति में विश्वास रखते हैं शिरकत करते रहे हैं. संगठन ने इस बार अपनी 19 वीं कार्यशाला का आयोजन 18 से 20 अक्टूबर 2018 को वृन्दावन में किया, इसमें दिल्ली, इलाहाबाद के अतिरिक्त पुणे से महिलाओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई। इस कार्यशाला में मुख्य सत्र रहे.
ऽ आंतरिक /अंदरूनी पितृसत्ता और जेंडर
ऽ वृन्दावन विधवा और एकल महिला की पहचान का सवाल
Me Too केम्पेन
ऽ क्यों मैं एक नारीवादी नहीं हूँ - एक नारीवादी घोषणापत्र, पुस्तक पर चर्चा
ऽ यूनिवर्सल हेल्थ केयर
ऽ समकालीन भारतीय समाज में जाति और जेंडर का अंतर्सम्बध
ऽ समकालीन भारतीय राजनैतिक हालात
प्रत्येक सत्र में गंभीर चर्चा हुईं। सत्रों में उठे विचारों ने उभरते राजनीतिक और सैद्धांतिक मुद्दों पर हमारी समझ को बढ़ाने और विभिन्न समूहों के अनुभव साझा करने और उनसे सीखने का मौका दिया। शाम को होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी सभी साथियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। समाज में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के विभिन्न रूपों को उजागर करना और आज के भारतीय राजनीतक माहौल को भी सामने लाना, सांस्कृतिक कार्यक्रम का खास फोकस रहा.