-अंजलि सिन्हा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केन्द्र से पूछा है कि 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के दोषी को मौत की सज़ा के लिए अध्यादेश लाने से पहले क्या सरकार ने कोई अध्ययन या वैज्ञानिक आकलन किया था ? यह सवाल कोर्ट ने एक पुरानी याचिका की सुनवाई के दौरान की थी जिसे मधु किश्वर ने 2013 के बलात्कार सम्बन्धी कानून संशोधन पर दायर किया था। पीठ ने सरकार से पूछा कि मौत की सज़ा क्या बलात्कार की घटना को रोकने में कारगर साबित होगी ? क्या अपराधी पीड़ितों को जिन्दा छोड़ेंगे ? सबसे अहम बात कोर्ट की यह टिप्पणी है कि ‘‘सरकार असल कारणों पर गौर नहीं कर रही है, न ही लोगों को शिक्षित कर रही है।’’ पीठ ने बताया कि दोषियों में अक्सर 18 साल से कम उम्र का पाया जाता है और ज्यादातर मामलों में दोषी-परिवार या परिचित में से कोई होता है। वैसे यह बात सरकार को ही स्पष्ट होनी चाहिए थी कि अगर वह नया कानून बना रही है तो इसके पक्ष में उसके पास क्या तर्क हैं और क्या अध्ययन हैं जिन्हें वह पेश करती सकती है।