प्रेम के विविध रंग!
एक तरफ बाज़ार, प्रेम को हीरे-मोतियों
में तोल रहा है, चाकलेट में घोल रहा है। दूसरी
तरफ प्रतिगामी,क्षुद्र और संकीर्ण
ताकतें प्रेम से डरा रहीं हैं :- जिहाद के नाम पर, इज़्ज़त के नाम, संस्कृति और धर्म को
बचाने के नाम पर !! ऐसे में प्रेम करना किसी युद्ध से कम नहीं।