-अंजलि सिन्हा
हालही में जारी हुई राष्ट्रीय महिला नीति के मसविदे में एक महत्वपूर्ण मुददा एकल महिलाओं का उठाया गया है जिसमें अविवाहित, विधवा या तलाकशुदा आदि श्रेणियां शामिल हैं। निश्चित ही इस बदले दौर में अकेले अपने भरोसे जीवनयापन करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी है और साथ ही इस पुरूषप्रधान मानसिकता वाले समाज में उनके साथ उत्पीड़न तथा गैरबराबरी एवं उपेक्षा की संभावना भी अधिक बनी हुई है, इसलिए ऐसी महिलाओं के बारे में योजना बनाना जरूरी है, लेकिन नीति बनाने से पहले इस पर विचार करना तथा विमर्श को व्यापक बनाना जरूरी है।